टमाटर यूं ही बना खलनायक! महंगाई डायन का पूरी थाली पर कब्जा, सरकार ने संसद में बताया कितने महंगे हुए दाल-चावल और आटा

टमाटर यूं ही बना खलनायक! महंगाई डायन का पूरी थाली पर कब्जा, सरकार ने संसद में बताया कितने महंगे हुए दाल-चावल और आटा

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rice atta daal price- India TV Paisa
Photo:FILE rice atta daal price

बीते महीने भर से टमाटर महंगाई का पोस्टर बॉय बना हुआ है। कभी 100 तो कभी 200 और अब 250 रुपये का टमाटर हर जगह चर्चा बटोर रहा है। लेकिन हम जहां टमाटर को ही महंगाई के लिए खलनायक मान रहे थे, वहीं पीछे पीछे महंगाई डायन ने पूरी थाली को ही अपने आगोश में ले लिया है। मानसून की मार के चलते सब्जियां तो महंगी हैं हीं, लेकिन अब दाल, चावल और रोटी की महंगाई भी आप लोगों को डस रही है। अगर आप यकीन नहीं कर रहे हैं तो सरकार की कही बात तो माननी ही चाहिए। 

कितने महंगे हुए दाल चावल और आटा 

सरकार ने संसद में गुरुवार को दाल चावल और आटे की महंगाई की एक झलक पेश की है। संसद में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई,जिसके मुताबिक दाल की कीमत में सबसे अधिक 28% की तेजी दर्ज की गई है। वहीं चावल के दाम 10.5% तक महंगे हो गए है। चावल का एवरेज रिटेल प्राइस 41 रुपये रहा, जो एक साल पहले तक 37 रुपये था।दूसरी ओर उड़द दाल और आटे की कीमत में 8 % की तेजी आई है। 

मौसम की मार और घटता उत्पादन जिम्मेदार

भारतीय कृषि हमेशा से ही मौसम पर निर्भर रही है। इस बार मौसम के प्रभाव के चलते खाने पीने के सामानों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। पिछले दो साल से रबी का मौसम चुनौतीपूर्ण रहा है। मार्च में अचानक गर्मी बढ़ने या फिर बारिश की वजह से गेहूं के उत्पादन में कमी आई है। साथ ही पिछले खरीफ सीजन में अक्टूबर नवंबर में हुई बेमौसम की बारिश ने फसल चौपट की है। साल 2022-23 में फसलों का उत्पादन 34.3 लाख टन रहा जो कि पिछले साल 42.2 लाख टन था। कम प्रोडक्शन कीमतों में तेजी की बड़ी वजह है।

टमाटर 300 की ओर 

आजादपुर सब्जी मंडी के थोक विक्रेता संजय भगत ने से कहा, ‘‘हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और भारी बारिश के कारण सब्जियों के परिवहन में काफी कठिनाई हो रही है। उत्पादकों से सब्जियों को लाने में सामान्य से छह-आठ घंटे अधिक लग रहे हैं। ऐसी स्थिति में टमाटर की कीमत लगभग 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है।’’ उन्होंने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां जो हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से आती हैं, उनकी गुणवत्ता में गिरावट आई है। 

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